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इतिहास

विक्टोरिया मेमोरियल हाल  सिर्फ कलकत्ता महानगर  ही नहीं बल्कि हमारे पूरे देश के अत्यन्त भव्य स्मारकों में से एक है। यह उत्कृष्ट एवं सुन्दर ब्रिटिश स्थापत्य का प्रतिनिधित्व करने के साथ ही आज कलकत्ता महानगर का एक वास्तविक प्रतीक भी है। ब्रिटिश-भारत के वाइसराय लार्ड कर्जन ने दिवंगत महारानी विक्टोरिया की स्मृति में 1, क्वीन्स वे पर स्थित इस स्मारक के  निर्माण की परिकल्पना की थी। कर्जन चाहते थे कि इस स्मारक को एक विशाल संगमरमर के हाल के रूप में कलकत्ता मैदान में बनाया जाये जो कि मुख्य रूप से महारानी का स्मारक हो और साथ ही भारतीय साम्राज्य के लिए एक राष्ट्रीय वीथी और विशिष्ट व्यक्तियों का स्मृति स्थल भी हो।

 

कर्जन ने इस प्रकार जिस राष्ट्रीय वीथी पर विचार किया था, उसे भविष्य में एक संग्रहालय का रूप दिया जाना था। अत: विक्टोरिया मेमोरियल हाल को केवल दिवंगत महारानी का स्मारक ही नहीं बल्कि कई अन्य उद्दश्यों के लिए स्थापित किया गया था। मेमोरियल कोे इसप्रकार डिजाइन किया जाना था कि उसके भीतर ही एक संग्रहालय बन सके। इसके निर्माण में यह विचार रहा कि संग्रहालय के साथ-साथ यह मेमोरियल  ‘हमारे चमत्कारपूर्ण इतिहास का स्थायी रिकार्ड के रूप में कार्य करेगा ‘। अत: इसको एक ऐतिहासिक संग्रहालय बनाये जाने की परिकल्पना की गई, जहां लोग ऐसे व्यक्तियों की तस्वीरें एवं मूर्तियां देख सकें, जिन्होंने इस देश के इतिहास में प्रमुख भूमिका निभाई थी और वे अपने अतीत पर गौरव महसूस कर सकेंगे। कर्जन के अनुसार यह उनका साम्राज्य संबंधी कर्तब्य बनता था कि एक विशाल स्मारक बनवाया जाये, जो महारानी विक्टोरिया तथा भारत के उपर्युक्त कद का  हो।

 

जनवरी 1901 में महारानी विक्टोरिया के निधन के कुछ ही सप्ताह के भीतर कलकत्ते के टाउन हाल में 6 फरवरी 1901 को एक बड़ी सभा बुलाई गयी, जहां स्मारक के निर्माण के लिए एक सर्वभारतीय  मेमोरियल कोष के गठन का प्रस्ताव रखा गया। भारत की जनता तथा राजाओं ने कोष के लिए उनकी अपील का उदारता के साथ स्वागत किया और स्मारक के निर्माण पर खर्च हुए रुपये एक करोड़, पांच लाख के व्यय को स्वेच्छापूर्वक चंदे से संग्रह किया। 4 जनवरी 1906 को सम्राट जार्ज-पंचम ने, जो उस समय वेल्स के प्रिंस थे, इस स्मारक की आधारशिला रखी एवं सन्‌ 1921 में आम जनता के लिए इसका औपचारिक रूप से उद्घाटन किया गया।