Great Indian Reformer Gallery

Pandit Madan Mohan Malaviya

Pandit Madan Mohan Malaviya

তৈলচিত্র
শিল্পী: অধ্যাপক ওয়াল্টার ল্যাংহামার
कैनवास पर तेल चित्र
कलाकार: प्रोफेसर वाल्टर लैंगहैमर
Oil on Canvas
Artist: Prof Walter Langhammer
R3137

পণ্ডিত মদন মোহন মালব্য (1861-1946)

পন্ডিত মালব্য ১৮৬১ সালে জন্মগ্রহণ করেন। তিনি ছিলেন একজন বিশিষ্ট আইনজীবী, সমাজকর্মী, রাজনীতিবিদ এবং প্রাচীন ভারতীয় সংস্কৃতির এক বিশিষ্ট পণ্ডিত। পণ্ডিত মালব্য বেনারস হিন্দু ইউনিভার্সিটি প্রতিষ্ঠার ক্ষেত্রে গুরুত্বপূর্ন ভূমিকা পালন করেন। এই ইউনিভার্সিটি ছিল এশিয়ার বৃহত্তম আবাসিক বিশ্ববিদ্যালয়গুলির মধ্যে একটি, যার লক্ষ্য ছিল প্রাচ্য ও পাশ্চাত্য শিক্ষার সর্বোত্তম মিশ্রণ। তাঁর বিপুল ব্যাক্তিত্বের নমুনা তিনি সমাজ সংস্কারের কাজে অক্লান্ত ভাবে দিয়েছেন। সর্বোপরি এক শিক্ষিত জাতি গঠনের ক্ষেত্রে তাঁর অবদান অনস্বীকার্য।

আপনি কি জানেন ?

২০১৪ সালে ভারত সরকার তাকে মরণোত্তর সর্বোচ্চ সম্মান, ভারতরত্ন দিয়ে ভূষিত করেছিল।

पंडित मदन मोहन मालवीय (1861-1946)

पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म सन् 1861 ई. में हुआ था, वह एक प्रतिष्ठित वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनितिज्ञ तथा प्राचीन भारतीय संस्कृति के प्रकांड पंडित थे। मालवीय जी एशिया के सबसे बड़े आवासीय विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बी एच यू) की स्थापना में सहायक थे, जिसका लक्ष्य पूर्वी और पाश्चात्य शिक्षा का सम्मिलन करना था। वह एक ऐसे विराट व्यक्तित्त्व थे, जिन्होंने सामाजिक सुधार के लिए अथक प्रयत्न किया। शिक्षा और राष्ट्र-निर्माण में उनके योगदान को भारत में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।

क्या आप जानते हैं ?

भारत सरकार द्वारा सन् 2014 में उन्हें मरणोपरांत सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

Pandit Madan Mohan Malaviya (1861-1946)

Born in 1861, he was a distinguished lawyer, social worker, politician and a learned scholar of ancient Indian culture. Malaviya was instrumental in the founding of Benaras Hindu University (BHU), one of the largest residential universities in Asia, aiming to blend the best of Eastern & Western education. A colossal figure, he worked tirelessly for social reforms. His contributions to education and nation-building continue to be revered in India.

Did you know?         

He was conferred with the highest civilian honour, Bharat Ratna posthumously by the Government of India in the year 2014.

 

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December 10, 2024