Great Indian Reformer Gallery

Rashbehari Ghosh

Rashbehari Ghosh

তৈলচিত্র
শিল্পী: জে.পি. গাঙ্গুলী
कैनवास पर तेल चित्र
कलाकार: जे.पी. गांगुली
Oil on Canvas
Artist: J. P.Gangooly
R5822

রাসবিহারী ঘোষ (1845-1921)

রাসবিহারী ঘোষ ছিলেন জনহিতৈষী, সমাজ সংস্কারক,  বিশিষ্ট বাঙালি আইনজীবী , এবং ভারতীয় জাতীয়তাবাদী নেতা। তিনি কংগ্রেসের বিভিন্ন উপদলের মধ্যে ঐক্য গড়ে তোলা এবং ভারতের জন্য বৃহত্তর স্বায়ত্তশাসনের পক্ষে ওকালতি করার ক্ষেত্রে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করেছিলেন। তিনি স্বাধীনতা আন্দোলনে চরমপন্থী ও মধ্যপন্থীদের মধ্যে মধ্যস্থতা এবং মধ্যপন্থা অবলম্বনের জন্য পরিচিত ছিলেন। তিনি কংগ্রেসের ঐতিহাসিক সুরাট অধিবেশনে (১৯০৭) এবং মাদ্রাজ অধিবেশনে (১৯০৮) সভাপতির দায়িত্ব পালন করেন। স্বাধীনতা সংগ্রামে তাঁর অবদান পরবর্তী প্রজন্মের জন্য স্বাধীনতার লড়াই চালিয়ে যাওয়ার ভিত্তি রচনা করেছিল।  

আপনি কি জানেন ?   

রাসবিহারী ঘোষ ওকালতির মাধ্যমে প্রতিষ্ঠা অর্জন করেছিলেন। কিন্তু তিনি তাঁর বেশিরভাগ উপার্জনই স্কুল ও কলেজ প্রতিষ্ঠায় দান করে দেন।

रासबिहारी घोष (1845-1921)

रासबिहारी घोष एक प्रमुख बंगाली वकील, समाज सुधारक, जन-हितैषी और भारतीय राष्ट्रवादी नेता थे। उन्होंने कांग्रेस के अंतर्गत विविध दलों के बीच एकता को बढ़ावा देने तथा भारत के लिए अधिकतर स्वायत्त शासन की वकालत करने में अपनी अहम भूमिका निभाई। वह अपने उदारवादी दृष्टिकोण एवं स्वाधीनता आंदोलन में नरमपंथियों तथा गरमपंथियों के बीच की खाई पाटने के अपने प्रयासों के लिए जाने जाते थे। वह कांग्रेस के दो सत्रों में अध्यक्ष के रूप में सेवारत रहे – पहला ऐतिहासिक सूरत सत्र (1907) और दूसरा उसके अगले वर्ष मद्रास (1908) सत्र । घोष के योगदान ने बाद की पीढ़ियों के लिए स्वतंत्रता-संग्राम में डटे रहने का एक आधार तैयार कर दिया।   

क्या आप जानते हैं ?

उन्होंने अपने कानूनी अभ्यास से प्रचुर धन कमाया लेकिन इसका अधिकांश हिस्सा उन्होंने स्कूल और कॉलेज को दान और चंदे के रूप में दे दिया।

Rashbehari Ghosh (1845-1921)

A prominent Bengali advocate, social reformer, philanthropist and Indian nationalist leader, Ghosh played a crucial role in fostering unity among various factions within the Congress and advocating for greater autonomy for India. He was known for his moderate approach and for his efforts to bridge the gap between extremists and moderates within the independence movement. He served as the President of Congress for two terms, first in the historic Surat session (1907) and then the year after, in the Madras session (1908). Ghosh’s contributions to the freedom struggle laid the groundwork for later generations to continue the fight for independence.

Did you know?

He made a fortune through his legal practice, but donated much of it by way of charity and endowments to schools and colleges.

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Site Updated On

December 10, 2024